









अमेरिका में आर्थिक परिदृश्य में सुधार से भविष्य में सोने के लिए और गिरावट की संभावना है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बड़बोलेपन और जल्दबाज़ी के लिए भी जाने जाते हैं पिछले हफ्ते बाजार बंद होने के बाद भारत और अमेरिका की टैरिफ समझोते को जीरो प्रतिशत पर लेन का एलान कर दिया जबकी हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि देशो के बीच अभी इस पर बातचीत जारी है वह और ये फ़ेंसले किये जाने बाकी है कि कौन कौन के सेक्टर पर क्या क्या मुमकिन है ताकि इस टैरिफ से दोनों देशो को एकसमान फ़ायदा हो सके। जब तक कोई निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाता तब तक कुछ भी घोषित करना ठीक नहीं है। ऑपरेशन सिन्दूर पर भी भारत की घोषणा से पहले राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच में उद्विराम की घोषणा कर दी थी।
खैर टैरिफ पर उनकी घोषणा सोने की कीमत को नीचे लेन में सहायक सिद्ध हुई और सोना 32$ प्रति औंस पर पहुंच गया।
हम आपको बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मनाना है कि भारत और अमेरिका के बीच अमेरिका को लगता है कि 45.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है और इसकी दूसरी तरफ इस व्यापार समझौता के तहत भारत हमेशा से फायदे में रह रहा है।
भारत अमेरिका से ईंधन, खनिज, तेल, मीडिया उपकरण, कीमती धातुएं, विमान उपकरण और परमाणु रिएक्टर का आयात करता है। टैरिफ के कम या जीरो हो जाने से इंडिया को कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ने वाला है, जबकी भारत का मुख्य उद्देश्य भारत रत्न और आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, प्लास्टिक, रसायन, झींगा और चुनिंदा कृषि उत्पादों सहित कई श्रम-प्रधान निर्यात क्षेत्रों पर शुल्क कम करने पर जोर देना है
अगले सप्ताह सोने पर और दबाव रहेगा
आभूषण उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार अगले सप्ताह सोने की कीमत में गिरावट की संभवनाये ज्यादा है। चीन और अमेरिका के बीच सकारात्मक व्यापारिक चर्चा और साथ ही भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध के चलते सोने की कीमत में पिछले हफ्ते गिरावट देखी गई है। पिछले सप्ताह 3200 डॉलर प्रति औंस के आस पास सोना बंद हुआ हे। विशेषज्ञों का मनाना अब सोना 3000 प्रति औंस तक जा सकता है वह तुरंत नहीं परंतु धीरे-धीरे वहा तक पहुंचने की संभावना प्रबल हो रही है। लेकिन कीमत में ये बदलाव नए निवेशकों के लिए दोबारा से सोने में प्रवेश की संभावनाओं को मजबूत करते हैं, जो बाजार की भावनाओं और व्यापार के लिए जरूरी हैं।
अमेरिका में आर्थिक परिदृश्य में सुधार से सोने को नुकसान पहुँचना जारी रहेगा।" "निकट भविष्य में सोने के लिए और गिरावट की संभावना है। लेकिन यह सुधार स्वाभाविक है, और सोने के निवेशकों को चिंतित नहीं होना चाहिए।
एक विशेषज्ञ ने कहा है कि उन्हें यह देखकर आश्चर्य नहीं होगा कि सुधार खत्म होने से पहले सोने की कीमतें अंततः $3,000 प्रति औंस से नीचे समर्थन का स्थापित करती हैं। हालांकि, उन्हें उम्मीद है कि कम कीमतें नए निवेशकों को आकर्षित करेंगी जो की व्यापक तेजी के रुझान बरकरार रखेंगी।
पिछले साल जून के सोने के वायदा का आखिरी कारोबार 3,188.80 डॉलर प्रति औंस पर हुआ था, जो पिछले सप्ताह से 4.6% से अधिक नीचे था। सोने की कीमतें अब पिछले महीने के सर्वकालिक उच्च स्तर 3,500 डॉलर प्रति औंस से 9% नीचे हैं। एक विश्लेषक के अनुसार बिकवाली आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि निवेशकों की भावना में तेज़ी से बदलाव आया है।
हालांकि सोना संघर्ष कर रहा है, लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह निवेशकों के लिए चांदी पर नज़र डालने का एक अवसर हो सकता है। इस सप्ताह, चांदी ने 32$ प्रति औंस से ऊपर समर्थन बनाए रखने में कामयाबी हासिल की है। पिछले साल जून चांदी का आखिरी कारोबार $32.26 प्रति औंस पर हुआ था, जो इस सप्ताह 1.5% कम था।
सोने की तुलना में चांदी के सापेक्ष बेहतर प्रदर्शन ने सोने-चांदी के अनुपात को 100 से नीचे धकेल दिया है।
केन्द्रीय बैंक सोने की खरीद में बड़ा रहे अपनी दिलचस्पी
विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) की नई रिपोर्ट के मुताबिक, सोने के वैश्विक भंडार में 10 टन की बढ़ोतरी होने के बाद भी केन्द्रीय बैंकों की सोने की मांग कम नहीं हो रही। रिपोर्ट के अनुसार, केन्द्रीय बैंक शुद्ध खरीद में सबसे आगे है। आपको बता दे कि सोने की खरीद में चीन भी अहम किरदार निभा रहा है क्योंकि चीन के केन्द्रीय बैंक ने 5 टन सोना खरीदा है। ये लगातार तीसरा महीना है जब पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अपने स्वर्ण भंडार में वृद्धि की है। जनवरी में उज्बेकिस्तान का केंद्रीय बैंक स्वर्ण भंडार खरीद में सबसे आगे रहा, उसने अपने आधिकारिक भंडार में 8 टन की वृद्धि की। डब्ल्यूजीसी में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की वरिष्ठ अनुसंधान प्रमुख मारिसा सलीम ने कहा, निरंतर खरीद से आधिकारिक भंडार में सोने के रणनीतिक महत्व पर प्रकाश पड़ता है, विशेष रूप से तब जब केंद्रीय बैंक बढ़े हुए भू-राजनीतिक जोखिमों से निपट रहे हैं। इस बीच, पोलैंड के राष्ट्रीय बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक ने तीन-तीन टन सोना खरीदा, चेक नेशनल बैंक ने अपने स्वर्ण भंडार में 2 टन की वृद्धि की तथा कतर केन्द्रीय बैंक ने 1 टन सोना खरीदा रूस के केंद्रीय बैंक और जॉर्डन के केंद्रीय बैंक ने 3 टन सोना बेचा तथा किर्गिज गणराज्य के राष्ट्रीय बैंक के भंडार में 2 टन की गिरावट देखी गई। भविष्य को देखते हुए, कई कमोडिटी विश्लेषकों को उम्मीद है कि डीग्लोबलाइजेशन के रुझान बढ़ने के साथ ही सोने को भी अच्छा समर्थन मिलेगा।
आरजेसी ने लेब ग्रोन डायमंड के लिए तय किए नए मानक
रिस्पॉन्सिबल ज्वैलरी काउंसिल (RJC) ने प्रयोगशाला में उगाए गए पदार्थों के लिए नए मानकों की शुरुआत की, इन मानकों में लेब ग्रोन डायमंड और रत्नों की कुशलता के लिए निर्देश दिए गए है। आरजेसी लंदन में स्थापित एक संस्था है जिसकी एक ब्रांच भारत में भी स्थित है। लेब ग्रोन डायमंड और माणिक, पन्ना, नीलम जैसे रत्न शुरुआती दौर से ही आभूषण जगत का हिस्सा रहे है, उनकी कुशलता पर ध्यान देना जरूरी है और उनकी उत्पत्ति दिशा निर्देश से हो ये भी जरूरी है। रिस्पॉन्सिबल ज्वैलरी काउंसिल (RJC) समय के साथ साथ बदलती आवश्यकताओं को समझ कर आभूषण बाजार की अखंडता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता रहता है। एलजीएमएस (LGMC )प्रयोगशाला में उगाई गई सामग्रियों को संभालने वाले सभी आरजेसी (RJC) सदस्यों पर लागू होता है।
लेब ग्रोन डायमंड प्राकृतिक डायमंड बाजार को कर रहा धीमा
प्राकृतिक डायमंड के मुकाबले, प्रयोगशाला में उगाए गए हीरो को ज्यादा पसंद किया जा रहा है। घरेलू बाजार में लेब ग्रोन डायमंड (LGD) की मांग बढ़ रही हैं। प्रयोगशाला में उगाए गए हीरे सांस्कृतिक हीरो पर भारी प्रभाव डाल रहे है, उनकी बिक्री को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
क्या है कारण?
1) दाम : लेब ग्रोन डायमंड की बिक्री को बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है उनके कम दाम। प्राकृतिक डायमंड के मुकाबले प्रयोगशाला में उगाए गए हीरे 30 से 40 % सस्ते होते है। लेब ग्रोन डायमंड के किफायती दाम आम आदमी की जेब को भी सहूलियत देते है जबकि प्राकृतिक हीरे का दाम बहुत अधिक होता हैं।
2) गुणवत्ता : लेब ग्रोन डायमंड को हाई प्रेशर हाई टेंपरेचर (HPHT) और केमिकल वैपोर डिपॉजिशन (CVD) की विधि द्वारा बनाया जाता है और प्राकृतिक हीरे भू उत्पादित होते है, इसके बादजूद भी दोनों की गुणवत्ता और चमक में ज्यादा फर्क नहीं होता। लगभग एक जैसी गुणवत्ता भी एक अहम कारणों में से एक हैं।
3) पर्यावरण : प्राकृतिक हीरे भू उत्पादित होते है, जिनको जमीन खोद कर निकाला जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है जबकि प्रयोगशाला में उगाए गए हीरे हाई प्रेशर हाई टेंपरेचर (HPHT) और केमिकल वैपोर डिपॉजिशन (CVD) की प्रक्रिया से बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए केवल कुछ हफ्तों में तैयार हो जाते हैं।
सोने के सबसे बड़े उत्पादक देश
पीली धातु (सोना) एक बहुमूल्य धातु है, ये देश की अर्थव्यवस्था में भी काफी सहायक होता हैं। घरेलू तौर पर बचत से लेकर वैश्विक स्तर पर सोना अहम भूमिका निभाता है। देश की अर्थव्यवस्था में उतार चढ़ाव के दौरान भी सोना बहुत काम आता है।
IDR (इंडियन डिपोजिटरी रिसिप्ट) की साल 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, 12000 टन सोने का उत्पादन करके ऑस्ट्रेलिया दुनियाभर में सबसे बड़ा सोने का उत्पादक देश बन गया।
दूसरे नंबर पर है रूस, रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने 11110 टन सोना देकर खुद को लिस्ट में दूसरे नंबर पर दर्ज कर लिया।
भारत में सबसे बड़ी सोने की खदान कर्नाटक में है। कर्नाटक की यह खदान भारत की इकलौती सक्रिय सोने की खदान है।
दुनिया की कुछ, बड़ी सोने की खदानें
1) इंडोनेशिया की ग्रासबर्ग सोने की खदान
2) रूस की ओलंपियाडा सोने की खदान
3) दक्षिण अफ़्रीका का साउथ डीप गोल्ड माइन
4) दक्षिण अफ़्रीका का मपोनेंग गोल्ड माइन
5) ऑस्ट्रेलिया की बोडिंगटन सोने की खदान
भारत की टॉप 5 गोल्ड होलसेल मार्केट
भारत में कुछ शीर्ष थोक सोने के बाजारों में मुंबई का जावेरी बाजार, दिल्ली का चांदनी चौक, जयपुर का जौहरी बाजार, हैदराबाद का बेगम बाजार और बैंगलोर का रिची स्ट्रीट शामिल हैं।
1) दिल्ली, चांदनी चौक की कूचा महाजनी मार्केट : चांदी चौक की कूचा महाजनी मार्केट एशिया की सबसे बड़ी आभूषण की होलसेल मार्केट है। यहाँ लगभग 800 से 900 ज्वैलरी की दुकान व शोरूम है। ये बाजार ज्वैलर्स, व्यापारियों और थोक खरीद की तलाश करने वाले खरीदारों की ज़रूरतों को पूरा करता है।
2) मुंबई का ज़वेरी बाज़ार : मुंबई का ज़वेरी बाज़ार दक्षिण मुंबई का एक प्रमुख थोक आभूषण बाज़ार है, जो दशकों से व्यापारियों का केंद्र रहा है। ये सोने और हीरे के आभूषणों का एक प्रसिद्ध केंद्र है, जहाँ विभिन्न प्रकार के आभूषण बेचे जाते हैं। साथ ही ये बाजार चांदी के बर्तन और प्राचीन वस्तुएं बेचने के लिए भी जाना जाता है।
3) जयपुर का जौहरी बाजार : जयपुर का जौहरी बाजार एक काफी लोकप्रिय बाजार है जो लोकप्रिय आभूषण और कलाकृति बाजार के लिए मशहूर हैं। ये बाजार हवा महल के पास स्थित है।
4) हैदराबाद का बेगम बाजार : हैदराबाद का बेगम बाजार थोक आभूषणों में रुचि रखने वालों को एक अनूठी खरीदारी का अनुभव प्रदान करता है।
5) बैंगलोर का रिची स्ट्रीट बाजार : रिची स्ट्रीट एक हलचल भरा व्यावसायिक क्षेत्र है जो अपने शानदार आभूषण बाजार के लिए जाना जाता है,।
अमेरिकी डॉलर के कारण एक बार फिर गिरा सोना
पिछले हफ्ते सोने की कीमतें $2,950-$3,000 के प्रतिरोध बैंड से गिरकर $2,850 के स्तर पर पहुंच गईं। यह गिरावट अमेरिकी व्यापार नीतियों और आर्थिक अनिश्चितता को लेकर चिंताओं के कारण हुई। मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ की घोषणा ने लंबे समय तक व्यापार संघर्ष की आशंकाओं को बढ़ा दिया, जिससे निवेशकों का उत्साह कम हो गया। नतीजतन, सोने के दाम में गिरावट बढ़ी, व्यापारियों ने अधिक स्पष्टता आने तक नए पदों में प्रवेश करने में संकोच किया।
इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने सोने पर और दबाव डाला है, क्योंकि अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 107 के महत्वपूर्ण स्तर से ऊपर टूट गया। कोर पीसीई डेटा जारी होने के बाद मंदी की आशंकाएं बढ़ गई हैं। कोर पीसीई मूल्य सूचकांक ने दिखाया कि मुद्रास्फीति धीरे-धीरे फेड के 2% लक्ष्य के करीब पहुंच रही है, जिससे भविष्य में दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं। बाजार के अनुमान इस साल 70 आधार अंकों की दर में कटौती का संकेत देते हैं, जिसमें पहली कटौती जून में होने की उम्मीद है। बाजार में गिरावट के बावजूद, लंबी अवधि से रुझान में तेजी के बने रहने के कारण कीमतों में तेजी देखी जा रही है। 2024 में यूएस ट्रेजरी यील्ड में सकारात्मक मूल्य कार्रवाई ने बाजार की अनिश्चितता को बढ़ा दिया है। चल रहे व्यापार तनाव और आर्थिक जोखिमों के साथ, निवेशक सोने के बाजार में महत्वपूर्ण कदम उठाने से पहले आगामी घटनाक्रमों पर बारीकी से नज़र रखेंगे। बाजार इस सप्ताह गैर-कृषि पेरोल डेटा के जारी होने का इंतजार कर रहा है, जो यूएस डॉलर इंडेक्स और सोने के बाजार को आगे का मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय रत्न एवं आभूषा शौ : जयपुर
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी), जयपुर में दिनांक : 3 से 5 अप्रैल, 2025 एक अंतर्राष्ट्रीय रत्न एवं आभूषा शौ कर रही है, जिसके जरिए वे भारतीय ज्वैलर्स के कारोबार को बढ़ाने की कोशिश कर रहे है। इस शौ में भारत के जाने माने आभूषण व रत्न के निर्माता शामिल होंगे। ये शौ आपको बी-टू-बी (बिजनेस टू बिजनेस) मंच प्रदान करेगा। ये शौ भारत को विश्वस्तरीय रत्न एवं आभूषणों के स्रोत के रूप में बढ़ावा देगा, भारतीय निर्माताओं को शीर्ष खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और आयातकों से जुड़ने में मदद करेगा।
आईजीजेएस के लिए पंजीकरण कैसे करें?
1) आगंतुक आवेदन प्रपत्र भरें।
2) ध्यान रखें कि सभी आवेदनों की समीक्षा की जाती है, तथा शो में प्रवेश की गारंटी नहीं दी जाती है।
भारत के सबसे बेहतर 5 लेब ग्रोन डायमंड के निर्माता
1) ABD डायमंड्स
ABD डायमंड्स को लैब में उगाए गए हीरों की बढ़िया निर्माण कंपनी के रूप में मान्यता प्राप्त है। ABD लैब में उगाए गए हीरों के ब्रांड की मांग के अनुसार विभिन्न फैंसी आकृतियों में विभिन्न प्रकार के हीरे प्रदान करते हैं। ABD में प्रत्येक हीरे को पॉलिश किया जाता है और छोटे हीरों को बेहतरीन तरीके से तैयार करते हुए एक शानदार और कलात्मक रचना के रूप में स्वीकार किया जाता है।
2) अंजलि डायमंड्स प्राइवेट लिमिटेड
सूरत में लैब में उगाए गए हीरे बनाने वाली कंपनियों में अंजलि डायमंड्स प्राइवेट लिमिटेड एक जाना-माना नाम है। वे टाइप - 2 कच्चे हीरे का उपयोग करते हैं, जिनकी सावधानीपूर्वक जांच की जाती है। ये कंपनी यह भी दावा करती हैं कि उनके हीरे प्राकृतिक हीरे की तरह 100% असली हैं और खनन किए गए हीरों की तुलना में 80% से कम कीमत रखते हैं। वे बेहतरीन चमक दिखाने वाले बेहतरीन हीरे तैयार करने के लिए केमिकल वैपोर डिपॉजिशन (CVD) विधि का उपयोग करते हैं।
3) धनलक्ष्मी एक्सपोर्ट
भारत के लैब में उगाए गए हीरे के निर्माण बाजार में एक और लोकप्रिय नाम है धनलक्ष्मी एक्सपोर्ट। वे CVD पद्धति का उपयोग करके लैब में हीरे उगाने में माहिर हैं और उनकी ऑनलाइन उपस्थिति बहुत मजबूत है। वे अपने रचनात्मक आभूषण डिजाइन और मार्केटिंग रणनीतियों के लिए जाने जाते हैं, जिन्होंने हीरा उद्योग में जादू ला दिया। वे दावा करते हैं कि उनके लैब में उगाए गए हीरे की चमक हमेशा बरकरार रहेगी।
4) भंडारी लेब ग्रोन डायमंड
टाइप - 2 A हीरा दुनिया के सबसे दुर्लभ और सबसे ज़्यादा मांग वाले रत्नों में से एक है और भंडारी कंपनी आपको इसे प्राप्त करने का मौका प्रदान करती है। वे पूरी तरह से कार्बन परमाणुओं से बने होते हैं और उनमें नाइट्रोजन या बोरॉन की कोई अशुद्धियां नहीं होती हैं इसलिए टाइप - 2 A हीरे बेहद अच्छे होते है। उनकी शुद्धता और सुंदरता के कारण उनकी मांग बहुत ज़्यादा है। भंडारी लिमिटेड प्रयोगशाला में उगाए गए हीरे के बाज़ार में भी एक प्रसिद्ध खिलाड़ी हैं और उनका मुख्यालय सूरत में है।
5) मैत्री लेब ग्रोन डायमंड
मैत्री दिल्ली में स्थित एक डायमंड कंपनी है जो 2012 से चल रही है और CVD तकनीक से खूबसूरत लैब-ग्रोन हीरे तैयार कर रही है। उनका लक्ष्य लैब-ग्रोन हीरों का प्रमुख उत्पादक और निर्माता बनना है और बेहतरीन लैब-ग्रोन हीरे का उत्पादन करके हीरे के कारोबार को बढ़ाना है। वे पर्यावरण के अनुकूल अत्याधुनिक हीरे पेश करके बढ़िया आभूषण बाजार को बदलना चाहते हैं जो अधिक व्यापक रूप से उपलब्ध हैं और उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं।
सोने के दाम क्यों तोड़ रहे रिकॉर्ड
सोने को पारम्परिक रूप से एक सुरक्षित निवेश माना जाता हैं, जिसे निवेशक भू राजनीतिक और स्वर्ण बाजार में उथल पुथल के दौरान खरीदते है। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले महीने से ही सोने की कीमत रिकॉर्ड तोड़ रही है, हाल ही में यह 2,900 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस से अधिक पर कारोबार कर रही है। पिछले साल 27 प्रतिशत की बढ़त के अलावा इस साल यह लगभग 12 प्रतिशत बढ़ चुका है। कई रणनीतिकार पूर्वानुमान कर रहे है कि आगे चल कर और अधिक वृद्धि होगी।
वायदा कारोबार के वैश्विक केंद्र न्यूयॉर्क में सोने की इतनी अधिक मांग है कि लंदन में सोने की छड़ें निकालने के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। सोने की होड़ के पीछे एक कारण यह भी है कि टैरिफ और निर्वासन संबंधी ट्रंप की नीतियों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और भू-राजनीतिक तनाव और भी बढ़ सकता हैं।
आरबीआई (RBI) के विदेशी स्वर्ण भंडार के कारण सोने में आई चमक
आरबीआई (RBI) द्वारा अपने कोष में और अधिक सोना जोड़ने के कदम तथा पीली धातु की कीमतों में हाल में नई ऊंचाई पर पहुंचने से उसे डॉलर के मुकाबले रुपए की चाल में उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार से नकदी निकालने की गुंजाइश मिल गई। भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बावजूद, पिछले छह महीनों में रुपया लगभग 3 प्रतिशत गिरकर शुक्रवार को 86.50 प्रति डॉलर पर आ गया, जबकि पिछले अगस्त में यह 83.75 प्रति डॉलर पर था। भू राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ने के बीच आरबीआई ने पिछले साल के पहले 11 महीनों में लगातार 73 टन सोना खरीदा था। दिसंबर में विराम के बाद, आरबीआई ने जनवरी में अपने भंडार में 2.8 टन सोना जोड़ा, जिससे उसका कुल स्वर्ण भंडार 879 टन के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया। विश्व स्वर्ण परिषद की भारत में अनुसंधान प्रमुख कविता चाको ने कहा कि नए सिरे से हुई खरीदारी से पता चलता है कि पिछले साल वैश्विक केंद्रीय बैंकों के बीच सोने के तीसरे सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभरने के बाद आरबीआई द्वारा सोने का संचय जारी रखने की संभावना है।
उच्च कीमतों ने आभूषण की मांग को किया प्रभावित
विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) के अनुसार भारत में जनवरी में सोने का आयात छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है और उच्च कीमतों ने आभूषणों की मांग को प्रभावित किया है लेकिन निवेश मांग पर इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिला क्योंकि स्वर्ण ईटीएफ में अभूतपूर्व प्रवाह दिखा है। WGC की एक सदस्य कविता चाको ने नवीनतम अपडेट में लिखा है कि सोने ने ना केवल नवंबर-दिसंबर की 6% की कीमत में गिरावट को उलट दिया है, बल्कि तब से यह कई नए उच्च रिकॉर्ड को छू चुका है। उन्होंने कहा, 1 फरवरी को पेश किए गए केंद्रीय बजट में सोने के लिए एक महत्वपूर्ण बात यह है कि आयात शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। बजट से पहले इस बात की चिंता थी कि जुलाई 2024 में शुल्क में 9% की कटौती करने के बाद सरकार सोने के आयात में वृद्धि के कारण शुल्क बढ़ा सकती है।
सरकार ने सोने के आभूषणों पर सीमा शुल्क को 25% से घटाकर 20% कर दिया है, सीमा शुल्क में कटौती का घरेलू आभूषण उत्पादन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
घरेलू आभूषण बाजार की बात करते हुए कविता चाको ने कहा कि हाल ही में सोने की ऊंची कीमतों ने खुदरा मांग पर भारी असर डाला है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि जनवरी में मांग में तेजी से गिरावट आई और फरवरी में भी यह गिरावट बरकरार रही।
जेमफील्ड्स ग्रुप लिमिटेड ने रत्नों पर 15% निर्यात शुल्क को किया निलंबित
रंगीन रत्नों की खनन कंपनी जेमफील्ड्स ग्रुप लिमिटेड ने बहुमूल्य रत्नों और धातुओं पर 15% निर्यात शुल्क को निलंबित करने के ज़ाम्बिया सरकार के निर्णय को स्वीकार किया, इस कदम से देश के पन्ना उद्योग में बहुत अधिक वृद्धि की संभावना है। यह निलंबन ज़ाम्बिया के वित्त मंत्री डॉ. सितुम्बेको मुसोकोटवाने द्वारा पारित किया गया।यह शुल्क अब केगेम माइनिंग लिमिटेड द्वारा खनन किए गए पन्ना पर लागू नहीं होगा, जिसका 75% स्वामित्व जेमफील्ड्स के पास है और 25% ज़ाम्बिया के औद्योगिक विकास निगम के पास है। जेमफील्ड्स के सीईओ सीन गिल्बर्टसन ने ज़ाम्बिया सरकार के फैसले की प्रशंसा करते हुए कहा"हम राष्ट्रपति हाकेंडे हिचिलेमा की सरकार को कीमती रत्नों पर 15% निर्यात शुल्क को संबोधित करने में उनकी त्वरित और प्रभावशाली कार्रवाई के लिए अपना हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करते हैं।
सोने की बढ़ती लीजिंग दर से, भारतीय ज्वेलर्स की मार्जिन में आ सकती है कमी
उद्योग के अधिकारियों के अनुसार, भारतीय आभूषण विक्रेताओं को भविष्य में सोने की लीजिंग लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि ट्रंप प्रशासन की ओर से टैरिफ के डर ने वैश्विक बैंकों को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए कीमती धातु को सुरक्षित करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे संभावित आपूर्ति की कमी हो सकती है। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ब्याज दरों में वृद्धि से आभूषण विक्रेताओं के मार्जिन पर और दबाव पड़ सकता है।सोने की कीमत 88,395 रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है। आपूर्ति की कमजोरी ने भारत में सोने की लीजिंग दरों को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया है, जो एक महीने के भीतर दोगुनी हो गई है। नवंबर में 17.5 मिलियन ट्रॉय औंस से, COMEX सोने की सूची फरवरी की शुरुआत में 33.38 मिलियन ट्रॉय औंस तक बढ़ गई। आयात पर निर्भर भारत के बैंक विदेशी बैंकों से सोना प्राप्त करते हैं और इसे जौहरियों को ऋण के रूप में देते हैं। बुलियन बैंकों द्वारा आयातित सोने को संग्रहीत करने वाले प्रमुख भारतीय शहरों की तिजोरियां लगभग खाली हो गई हैं, क्योंकि बैंकों ने सोने को संयुक्त राज्य में स्थानांतरित कर दिया है।
टाइटन कंपनी लिमिटेड ने आने वाली तिमाहियों में लीज दरों में वृद्धि की आशंका जताई है। टाइटन के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट फाइनेंस विजय गोविंदराजन ने कहा, पिछले 1 महीने में हम जो कुछ देख रहे हैं वह बैंकों द्वारा संकेतित लीज दरों पर सोने में मामूली वृद्धि है लेकिन आपूर्ति की स्थिति भी है। जिसे वे संबोधित करने की कोशिश कर रहे हैं,इसलिए हमें अगले कुछ महीनों में यह देखने की जरूरत है कि सोने की आपूर्ति की स्थिति कैसी रहती है और उस संदर्भ में ये दरें आखिरकार कैसे स्थिर होती हैं ?
जीजेसी (GJC) फेलोशिप टूर - हांगकांग
शो तारीख : 3 से 8 मार्च 2025
हांगकांग अंतरराष्ट्रीय ज्वेलरी शो ज्वेलरी एंड जेम वर्ल्ड (JGW) ज्वैलरी उद्योग के लिए सबसे बेहतरीन B2B मार्केटप्लेस है। JGW सीधे कंपनियों के मालिकों से जुड़ने, साझेदारी बनाने और मूल्यवान जानकारी प्राप्त करने के लिए एक असाधारण मंच प्रदान करता है। यह प्रगतिशील दृष्टिकोण की राह को सुव्यवस्थित करता है, जिससे शो में आने वाले विजीटर्स को आसानी से अपने मनवांछित संसाधनों का पता लगा सकते हैं। जिसके परिणामस्वरूप कार्यकुशलता और उत्पादकता में वृद्धि होती है। जिसमें अधिक से अधिक समूह और थीम आधारित मंडप होते है। इसमें प्रसिद्ध फाइन जेम और फाइन डिजाइन मंडप, इंटरनेशनल प्रीमियर मंडप और हांगकांग के नए प्रमुख आभूषण निर्माताओं को उजागर करने वाला कोर जोन शामिल होते है। हांगकांग JGW वैश्विक आभूषण व्यापारियों के लिए यह शो बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शो 1966 में हांगकांग ट्रेड डेवलपमेंट काउंसिल (HKTDC) द्वारा स्थापित किया गया था। इस शो के जरिए आप लगभग विश्व के सभी ज्वेलर्स से जुड़ सकते है, जान पहचान बढ़ा सकते है, सोने और कीमती रत्नों की खरीदारी कर सकते है। ये मंच आपको मौका देता है कि आप ज्वैलरी इंडस्ट्री के नए डिजाइन, नए मौके, नई बिजनेस के अवसर प्प्राप्त कर सकते है।
कूचा महाजनी इवेंट : चांदनी चौक, दिल्ली
तारीख : 15 से 30 अप्रैल 2025
दिल्ली की शान चांदनी चौक की कूचा महाजनी में ज्वैलरी शौ लगाने वाला है। इस ज्वैलरी शौ में कूचा महाजनी मार्केट के जाने माने ज्वेलर्स अपने आभूषण के संग्रह की प्रदर्शनी करेंगे। कूचा महाजनी मार्केट एशिया की सबसे बड़ी आभूषण की थोक विक्रेता है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से आप एशिया की सबसे बड़ी आभूषण मार्केट से जुड़ सकते है। इतना ही नहीं बल्कि इस प्रदर्शनी में आने वाले सभी विजीटर्स को बहुत से ऑफर (जैसे सोने के सिक्के, चांदी के सिक्के, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स और अन्य गिफ्ट) मिलेगे। इस मंच के जरिए कूचा महाजनी के ज्वैलर्स और प्रदर्शनी में आने वाले ज्वैलर्स दोनों का विकास होगा।
सोने के दाम में उछाल: दाम का रुख 3,000 डॉलर की ओर
सोने के बाज़ार में अस्थिरता तेजी पर है क्योंकि इस सप्ताह पीली धातु ने एक और रिकॉर्ड ऊंचाई हासिल की है। तेजी के रुझान को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है क्योंकि विश्लेषक अगले सप्ताह 3,000 डॉलर प्रति औंस पर नज़र बनाए हुए हैं। सोने का बाजार अभूतपूर्व रूप से तेजी की ओर बढ़ रहा है, पिछले आठ सप्ताह न केवल सकारात्मक क्षेत्र में बल्कि सर्वकालिक उच्च स्तर पर समाप्त हुए हैं। सोने की तकनीकी मूल्य गतिविधि को देखते हुए, सोने को अपने पांच दिवसीय औसत पर ठोस समर्थन मिल रहा है और जब तक यह गति नहीं बदलती, तब तक सोने में तेजी बरकरार रहेगी। सोने में बहुत लचीलापन है जो उच्च कीमतों का समर्थन करना जारी रखेगा। सोने को यहां तक ले जाने वाले मूलभूत स्तंभ और भी मजबूत हो गए हैं फिर चाहे वह मुद्रास्फीति का डर हो, वैश्विक व्यापार का टूटना हो या केंद्रीय बैंक का पारम्परिक मुद्राओं के भंडार से दूर जाना हो।
ओडिशा में मिली सोने की 2 खदान, 1 की होगी नीलामी
ओडिशा के दो जिलों में सोने की खदानें मिली हैं और इनमें से एक ब्लॉक की नीलामी केंद्र द्वारा की जाएगी, खान मंत्री विभूति भूषण जेना ने विधानसभा में इन खदानों की जानकारी दी। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने देवगढ़ जिले के अदास क्षेत्र में जी-2 स्तर पर शोध किया है और तांबे के साथ सोना, निकल, चांदी और ग्रेफाइट खनिज पाए हैं। मंत्री ने बताया कि निकल और ग्रेफाइट महत्वपूर्ण खनिज हैं, इसलिए उक्त ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया भारत सरकार के खान मंत्रालय द्वारा किए जाने की योजना है। इसके अलावा, क्योंझर जिले के गोपुर इलाके में जी-3 स्तर पर सोने की खदान की खोज पूरी हो चुकी है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में इसी ब्लॉक के एक और इलाके में जी-2 जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों द्वारा अंतिम रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद तकनीकी समिति की अनुशंसा पर कार्रवाई की जाएगी।











